अरबी (अंग्रेज़ी:तारो) एक उष्णकटिबन्धीय पेड़ है जिसे इसकी जड़ में लगी अरबी नामक सब्जी के लिए मुख्यतः उगाया जाता है। इसके साथ ही इसके बड़े बडए पत्ते भी खाद्य हैं। यह बहुत प्राचीन काल से उगाया जाने वाला पेड़ है।[1] कच्चे रूप में पेड़ जहरीला हो सकता है। ऐसा इसमें मौजूद कैल्शियम ऑक्ज़ेलेट के कारण होता है। [2][3] हालांकि ये लवण पकने पर नष्ट हो जाता है।[4] या इनको रात भर ठ्ण्डे पानी में रखने पर भि नष्ट हो जाता है। अरबी अत्यन्त प्रसिद्ध और सभी की परिचित वनस्पति है। अरबी प्रकृति ठण्डी और तर होती है। अरबी के पत्तों से पत्तखेलिया नामक बानगी बनती है। अरबी कन्द (फल) कोमल पत्तों और पत्तों की तरकारी बनती है। अरबी गर्मी के मौसम की फसल है। अरबी गर्मी और वर्षा की ऋतु में होती है। अरबी अनेकों किस्म होती हैं-राजाल, धावालु, काली-अलु, मंडले-अलु, गिमालु और रामालु। इन सबमें काली अरबी उत्तम है। कुछ अरबी में बड़े और कुछ में छोटे कन्द लगते हैं इनसे भाँति-भाँति बानगियाँ बनाई जाती है। अरबी रक्तपित्त को मिटाने वाली, दस्त को रोकने वाली और वायु को प्रकोप करने वाली है। विभिन्न भाषाओं में नाम अरबी की गांठें हिंदी : घुइयां, अरबी, अरुई। अंग्रेजी: ग्रेटलीव्ड कैलेडियम। लैटिन: एरम इण्डिकम। गुण अरबी शीतल, अग्निदीपक (भूख को बढ़ाने वाला), बल की वृद्धि करने वाली और स्त्रियों के स्तनों में दूध बढ़ाने वाली है। अरबी सेवन से पेशाब अधिक मात्रा में होता है एंव कफ और वायु की वृद्धि होती है। अरबी कन्द में धातुवृद्धि की भी शक्ति है। अरबी के पत्तों का साग वायु तथा कफ बढ़ाता है। पत्तबेलिए बेसन के कारण स्वदिष्ट और रुचिकर लगते है, फिर भी उसका अधिक मात्रा में सेवन उचित नही है। अरबी की किसी भी किस्म को कच्ची न रखें। हानिकरक दूध बढ़ाने वाली है। अरबी सेवन से पेशाब अधिक मात्रा में होता है एंव कफ और वायु की वृद्धि होती है। अरबी कन्द में धातुवृद्धि की भी शक्ति है। अरबी के पत्तों का साग वायु तथा कफ बढ़ाता है। पत्तबेलिए बेसन के कारण स्वदिष्ट और रुचिकर लगते है, फिर भी उसका अधिक मात्रा में सेवन उचित नही है। अरबी की किसी भी किस्म को कच्ची न रखें। अरबी की सब्जी बनाकर खायें। इसकी सब्जी में गरम-मसाला, दालचीनी और लौंग डालें। जिन लोगों को गैस बनती हो, घुटनों के दर्द की शिकायत और खांसी हो, उनके लिए अरबी का अधिक मात्रा में उपयोग हानिकारक हो सकता है। चिकित्सा गिल्टी (टयूमर) अरुई के पत्तों के डाली को पीसकर लेप करने से रोग में लाभ होता है। झुर्रियां अरबी त्वचा का सूखापन और झुर्रियाँ भी दूर करती है। सूखापन चाहे आंतों में हो या सांस-नली में अरबी खाने से लाभ होता है। पित्त प्रकोप अरबी के कोमल पत्तों का रस और जीरे की बुकनी में मिलाकर देने से पित्त प्रकोप मिटता है। पेशाब की जलन अरबी के पत्तों का रस 3 दिन तक पीने से पेशाब की जलन मिट जाती है। फोड़े-फुन्सी अरबी के पत्ते के डण्ठल जलाकर उनकी राख तेल में मिलाकर लगाने से फोड़े मिटते है। महिलाओं के दूध की वृद्धि अरबी की सब्जी खाने से दुग्धपान कराने वाली स्त्रियों का दूध बढ़ता है। रक्तपित्त (खूनी पित्त) होने पर अरबी के पात्तों का साग रक्तपित्त के रोगी के लिए लाभकारी है। वायु गुल्म (वायु का गोला) अरबी के पत्ते डण्ठल के साथ उबालकर उसका पानी निकालकर उसमें घी मिलाकर 3 दिन तक सेवन से वायु के गोला दूर होता है। स्तनों में दूध को बढ़ाने के लिए स्तनों में दूध को बढ़ाने के लिएजच्चा महिलायें अरबी की सब्जी खायें तो बच्चे को पिलाने के लिए दूध बढ़ जायेगा। हृदय रोग अरबी सब्जी रोजना खाना हृदय रोग में लाभप्रद है। पाचन इलाज[5] |
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